November 14, 2025 |
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स्वस्थ और खुशी जीवन के लिए राजयोगका अभ्यास विषयक गोष्ठी एवं प्रशिक्षण कार्यक्रम

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प्रशिक्षक राजयोगी रमण भट्टराई प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय करजाइन बाजार के तत्वधान मे पॉलिटेक्निक इंजीनियरिंग कॉलेज कराजाइन सुपौल में आज आध्यात्मिक सशक्तिकरण द्वारा स्वास्थ और स्वच्छ समाज विषय संगोष्ठी कार्यक्रम का उद्घाटन ब्रह्माकुमारी संस्थान के सिमराही सेवा केंद्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी बबीता दीदी, जीवन शैली विज्ञ, प्रेरक वक्ता राजयोगी रमन भट्टराई ,प्रिंसिपल अजय कुमार सिंह, इंजीनियर भानु प्रिया, पूजा कुमारी, ब्रह्माकुमारी नीलम दीदी, ब्रह्माकुमारी बिना दीदी, ब्रह्माकुमारी पूजा दीदी, ब्रह्मा कुमार किशोर भाईजी इत्यादियोंने संगठित रुपमें दीप प्रज्वलित करके कार्यक्रम को शुभारंभ किया।

प्रेरक वक्ता प्रशिक्षक रमन भट्टराई जी ने शिक्षक ,शिक्षिका एवं विद्यार्थियों को संबोधित करते हुये अपने उद्बोधन में कहा कि आज के बिगड़ती परिस्थिति को देखते हुए समाज को सुधारने की बहुत आवश्यकता है। उन्होने कहा कि वर्तमान के छात्र भावी समाज है। अगर भावी समाज को आर्दश बनाना चाहते हो तो छात्राओं को भौतिक शिक्षा के साथ नैतिक आचरण पर भी उनके ऊपर ध्यान देने की आवश्यकता है। उन्होने कहा कि शिक्षक वही है जो अपने जीवन की धारणाओं से दूसरो को शिक्षा देता है। धारणाओं से विद्यार्थियों में बल भरता है। उन्होने कहा कि जीवन की धारणाओं से वाणी, कर्म, व्यवहार ओर व्यक्तित्व में निखार आ जाता है। रमण भाई ने कहा कि शिक्षा देने के बाद मी अगर बच्चे बिगड़ रहे है उसका मतलब मूर्तिकार में भी कुछ कमी है। उन्होंने कहा कि शिक्षक के अन्दर के जो संस्कार है उनका विद्यार्थी अनुकरण करते है। शिक्षको को केवल पाठ पढ़ाने वाला शिक्षक नही बल्कि सारे समाज को श्रेष्ठ मार्गदर्शन देने वाला शिक्षक बनना है। उन्होने कहा कि शिक्षक होने के नाते हमारे अन्दर सद्गुण होना आवश्यक है। शिक्षा में भौतिक सुधार तो है लेकिन नैतिकता का हास होता जा रहा है। उन्होने बताया कि अपने जीवन की धारणाओं के आधार से नैतिक पाठ भी आवश्यक पढ़ाये। भगवान भाई ने कहा कि शिक्षको के हाव, भाव उठना, बोलना, चलना, व्यवहार करना इन बातो का असर भी बच्चो के जीवन में पढ़ता है। उन्होने कहा कि जब समाज को शिक्षित करने व शिक्षा देने के स्वरूप को बदलने की आवश्यकता है। स्वयं के आचरण से शिक्षा देने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि समाज को सुधारने की अहम् भूमिका शिक्षको की है। प्राचीन भरत में स्वामी विवेकानन्द, महात्मा गांधी, जैसे महापुरूष समाज में शिक्षक के रूप में थे। फिर से हमें विद्यार्थीयों को नैतिकता का पाठ पढ़ाकर उन्हे गुणवान, चरित्रवान, दिव्य संस्कारवान बनाने की आवश्यकता है। रमण भाई ने बताया कि आर्दश शिक्षक ही आर्दश समाज की निर्मित कर सकता है। आज समाज को सही दिशा देने वाला शिक्षक ही होता है। शिक्षको की जिम्मेवारी महान है।

प्रेरक वक्ता रमण भट्टराई ने कहा कि मूल्यहीन शिक्षा से सामाजिक, मानसिक, राष्ट्रीय अन्तर्राष्ट्रीय, पारिवारिक समस्याएँ उत्पन्न होती है। उन्होने कहा कि वर्तमान में युवा पीढ़ी को नई दिशा देकर समाज में व देश में रचनात्मक क्रांती लाने का कर्तव्य शिक्षको का काम है। उन्होंने कहा कि जग का अंधियारा समाप्त करने के लिए शिक्षको जीवन भर में स्वयं भी विद्यार्थी बन सीखना होगा। जो जितना अध्ययन करता है उतना ही अज्ञानता दूर होती है। उन्होने कहा कि सीखने और सिखाने की कोई उम्र नहीं होती है। उन्होंने कहा कि जीवन के सद्‌गुणों के विकास हेतु सीखने क आदत डाले । नैतिक मूल्यों से प्रेरित कुछ कहानियां, स्वयं के जीवन के कुछ अनुभव के आधार पर सभी बच्चों का ध्यान नैतिक मूल्यों के तरफ आकृषित कराया। कार्यक्रम के अंत में राजयोग का अभ्यास भी कराया।

ब्रह्माकुमारिज सिमराही सेवा केन्द्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी बबिता दीदी ने कहा कि आध्यात्मिक ज्ञान मूल्यों का स्त्रोत है। जब तक हम अपने जीवन में आध्यात्मिकता नही अपनाते है तब तक जीवन में नैतिक मूल्य नहीं आ सकते । उन्होने बताया की रोज अच्छा साहित्य पढ़े अच्छा संग करे, नकारात्मक चीजो से दूर रहे। एक दीपक से पूरा कमरा प्रकाशमान होता है तो क्या पूरे जिले को मूल्य निष्ठ शिक्षा से प्रकाशित हम सब मिलकर नहीं कर सकते है ? अब आवश्यकता है सेवाभाव की।

पॉलिटेक्निक इंजीनियरिंग कॉलेज करजाइन सुपौल के प्रिंसिपल अजय कुमार सिंह जी ने अपने उदबोधन देते कहा की नैतिक मूल्यो के तरफ भी ध्यान देना चाहिये। नैतिक मूल्य ही हमारी असली सम्पति है। शिक्षको को स्वयं को आचरण पर ध्यान देने के लिए आध्यात्मिक ज्ञान के साथ साथ तनाव मुक्त रहने की आवश्यकता है। उन्होने ब्रह्माकुमारी द्वारा चलाये जा रहे इस अभियान की सराहना की।मौके पर ई अजय कुमार सिंह,ब्रह्माकुमारी बबीता दीदी, ब्रह्माकुमारी निलम कुमारी, बीना कुमारी, पूजा कुमारी,भानु पीर्य, पूजा कुमारी,ब्रह्माकुमार किशोर भाईजी , इत्यादि 600 सौ विद्यार्थी और 25 टीचर्स ने लाभ लिया।

Supaul Dastak News
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